दुर्गा जी का वास्तविक मंत्र क्या है?

देवी दुर्गा को विभिन्न नामों जैसे गौरी, ब्राह्मी, रौद्री, वरही, वैष्णवी, शिवा, वरुनी, कावेरी, नरसिंही, वास्बी, विश्वेश्वरी, वेदगर्भा, महा विद्या, महामाया, जगदम्बिका, सनातनी देवी, आदि माया, महा शक्ति, अष्टांगी, जगतजन-नी, प्रकृति, त्रिदेवजन-नी से संबोधित किया जाता है।

साधक विभिन्न मंत्रों का जाप करके उसकी पूजा करते हैं, जो कहीं भी वेद, पुराण या गीता जी जैसे किसी भी हिंदू धार्मिक ग्रंथों में प्रमाणित नहीं होते हैं। दुर्गा चालिसा या दुर्गा सप्ताष्टि का पाठ करने से देवी दुर्गा कृपा नहीं करती है। यह पूजा का मनमाना आचरण है जो व्यर्थ है। 

तत्वदर्शी (प्रबुद्ध) संत द्वारा दी गई परम पुरुष परमेश्वर की सही भक्ति विधि ही करनी चाहिए। प्रमाणित सच्चे मंत्रों का जाप करने से भक्तों को परम शांति व सुख प्राप्त करने में सहायक होती है। तत्वदर्शी संत यानी संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करें और अपना कल्याण करवाएं।

तो दुर्गा पुराण से पांच अवधारणाएं स्पष्ट होती हैं:

  1. ब्रह्मा जी, विष्णु जी, और शिव जन्म और मृत्यु में हैं, वे अविनाशी नहीं हैं।
  2. देवी दुर्गा उनकी माता है।
  3. दुर्गा प्रकृति देवी है।
  4. ब्रह्मा रजोगुण है, विष्णु सतोगुण हैं और शिव शंकर तमोगुण हैं।
  5. ब्रह्मा, विष्णु, और शिव केवल कर्म फल ही दे सकते हैं, वे कोई बदलाव नही कर सकते हैं।

यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13- केवल परम पुरुष परमात्मा/सतपुरुष/सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर साहेब जी (कर्म) बदल सकते हैं। वे हमारे पापों को क्षमा कर सकते हैं।

साधकों/श्रद्धालुओं की यह मिथक कि दुर्गा रचियता है, वह पापों को क्षमा कर सकती है और मोक्ष दे सकती है, सभी गलत साबित हुए। देवी दुर्गा इस ब्रह्मांड का रचियता नहीं है। वह पापों को क्षमा नहीं कर सकती और न ही वह मोक्ष प्रदान कर सकती। दुर्गा अविनाशी नहीं है। वह अपने पति ब्रह्म (काल) के साथ-साथ अपने तीन पुत्रों ब्रह्मा, विष्णु और शिव सहित जन्म और मृत्यु में हैं। क्षर पुरुष के सभी (21) इक्कीस ब्रह्मांड नाशवान हैं।

परम पुरुष परमेश्वर कविर्देव रचियता हैं जो पूरे ब्रह्मांड का धारन-पोषण करते हैं। वह  अविनाशी हैं और शाश्वत स्थान अर्थात परम निवास स्थान 'सतलोक' में रहते हैं। अतः परम शांति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए जैसा कि गीता जी में ब्रह्म द्वारा बताया गया है जिसे ब्रह्म ने वेदों में विस्तार से बताया है। वह सर्वोत्तम परमात्मा 'कवीर देव' है या उसे 'कबीर साहिब या 'अल्लाह हु अकबर' कहते हैं।

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